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जय हनुमान

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"चंद हाइकु"

थका सूरज उतार कर धूप घर को चला ।। समायोजन भोजन पचान में धूप का साथ उड़ा अबीर लाल भये बादल धूप घायल धूप नहीं ये हौरी का खुमार है हो हो होरी है धूप प्रकार प्रात: से साँझ तक असर भिन्न धूप लिखा तो गरमी का अंदाज़ मांथे सिकन अनिलकुमार सोनी

"सुप्रभात"

जागो हे वीर  भारतीय  भौर हुई  सूरज निकल आया है  सुबह हुई कोयल कूकी  कौवा बोलें  पवन चले पुरवाई है  जागो हे वीर  भारतीय  भौर हुई ।  रचनाकार  अनिलकुमार सोनी साझा करें

"चुनाव" और कविता सुनाओ !

अब तो कविता लिखने का मूड हो गयो है तुम जो, भिखारी बन ,हाथ कटोरा लिये हो। जनता की मार खा कर भी चुनाव लड़ रहे हो उम्मीद थी सब को पांसे पलटने की ,पांसे वही शकुनी की जगह ,जनता चल रही थी चाल सब। जीत कर तुम कर बढ़ा रहे हो कुर्सी पर तुम यूं मुस्करा रहो हो । अनिल कुमार सोनी