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'वृक्षारोपण का संदेश ही कविता"

'वृक्षारोपण का संदेश ही कविता"

कवि को देखकर
कविता बनाई
एक दिन कवि के नाम
नगर में कवि के आगमन का प्रचार
बहुत जौर शौर से हुआ
नगर में चर्चायें होने लगीं
बहुत अच्छे कवि आ रहे हैं
समाज में  समरसता देने
मंचासीन हुए कवि
न उन्होंने
जय श्रीराम कहा
नहिं कोई अपने मुंह से वचन निकालें
हां
उन्होंने चुप चाप
मंच के सामने वाली जगह पर
एक गढ्ढा कर
एक पौधा रोपण का कार्य किया
धन्य हैं ऐसे कवि
जो मूकभाषा में
कविता कह जाते हैं।





अनिलकुमार सोनी

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