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संदेश

मई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"मानसून आमंत्रण"

"नर्मदा की बालु" नर्मदा मैया की रेता बही रे रेता बही रे जैसे शक्कर की रास रे नर्मदा मैया हो । पलते मजदूर अब कहाँ जांयें रे नर्मदा मैया हो। अनिलकुमार सोनी
लघुकथा "क्या गिरा" गर्मी के दिन थे , परिवार में  दस सदस्य बैठक रूम में आपस बातें कर थे छोटे छोटे बच्चे भी बैठक रूम में ही सो गये थे रात के ग्यारह बज चुके थे।      बैठक रूम के ऊपर वाले कमरे में भी विंडो कूलर भी चालू था । ग्यारह बज कर तीस मिनट पर बहुत ही जोर की आवाज आती है जिसे कोई लोहा का पलंग गिरा हो सभी लोग घबराने लगे ।आखिर  हुआ क्या है यह जानने के लिए सभी लोग घर के सभी एक एक कोना छानने निकले उन्हें कुछ नहीं मिला घबराहट और बढ़ गई । मैं भी उस आवाज आने का कारण खोज रहा था और वह कारण था विन्डोकूलर के ऊपर एक लकड़ी स्केल रखा था जो कूलर चालु होने के कारण वह कूलर की पंखी में जा गिरा और तेज आवाज के साथ वह स्केल चकनाचूर हो गया  । घबराहट सबकी कम हो गई। अनिलकुमार सोनी

"माँ"

माँ एक शक्तिपुंज है समझो । माँ सभी प्रश्नों का उत्तर है समझो । माँ मंत्रों का महामंत्र है समझो । माँ संसार को जीवन देने वाली जगतजननी है समझो । अनिलकुमार सोनी

" शुभकामनाऐं "

" शुभकामनाऐं " म.प्र. के 10वीं और 12वीं  के सभी विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम पाने पर हार्दिक बधाइयाँ -आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं| अनिल कुमार सोनी

'वृक्षारोपण का संदेश ही कविता"

'वृक्षारोपण का संदेश ही कविता" कवि को देखकर कविता बनाई एक दिन कवि के नाम नगर में कवि के आगमन का प्रचार बहुत जौर शौर से हुआ नगर में चर्चायें होने लगीं बहुत अच्छे कवि आ रहे हैं समाज में  समरसता देने मंचासीन हुए कवि न उन्होंने जय श्रीराम कहा नहिं कोई अपने मुंह से वचन निकालें हां उन्होंने चुप चाप मंच के सामने वाली जगह पर एक गढ्ढा कर एक पौधा रोपण का कार्य किया धन्य हैं ऐसे कवि जो मूकभाषा में कविता कह जाते हैं। अनिलकुमार सोनी

"कलम"

"कलम"                                                                 नज़र गई तो                                                               गा दिया हमने                                                       शब्द शब्द जोड़कर                                                 पढ़ा तो                                         ...

"चंद हाइकु"

थका सूरज उतार कर धूप घर को चला ।। समायोजन भोजन पचान में धूप का साथ उड़ा अबीर लाल भये बादल धूप घायल धूप नहीं ये हौरी का खुमार है हो हो होरी है धूप प्रकार प्रात: से साँझ तक असर भिन्न धूप लिखा तो गरमी का अंदाज़ मांथे सिकन अनिलकुमार सोनी

परिचय

परिचय - अनिल कुमार सोनी माता का नाम :स्व. श्रीमती सीता रानी सोनी पिता का नाम :स्व. श्री नारायण प्रसाद सोनी जन्मतिथि :01.07.1960 ~संपर्क~ शहर/गाँव:पाटन जबलपुर पिन कोड 483113 देश :भारत फेसबुक :100006776139284@Facebook. Com ~मेरे बारे में~ शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक ~हिन्दी के बारे में विचार ~ हिंदी मेरी मां है हिन्दी लेखक डॉट कॉम पर प्रकाशित रचनाएँ प्रगति, कारण से, टूटता आदमी, मुक्त नहीं संयुक्त हैँ, फरिश्ता, चाहत, आंखों से आंसू नहीं अब, क्या लिखूं आदि ।

"सुप्रभात"

जागो हे वीर  भारतीय  भौर हुई  सूरज निकल आया है  सुबह हुई कोयल कूकी  कौवा बोलें  पवन चले पुरवाई है  जागो हे वीर  भारतीय  भौर हुई ।  रचनाकार  अनिलकुमार सोनी साझा करें

"सुप्रभात"

जागो हे वीर भारतीय भौर हुई सूरज निकल आया है सुबह हुई कोयल कूकी कौवा बोलें पवन चले पुरवाई है जागो हे वीर भारतीय भौर हुई । रचनाकार अनिलकुमार सोनी

"चुनाव" और कविता सुनाओ !

अब तो कविता लिखने का मूड हो गयो है तुम जो, भिखारी बन ,हाथ कटोरा लिये हो। जनता की मार खा कर भी चुनाव लड़ रहे हो उम्मीद थी सब को पांसे पलटने की ,पांसे वही शकुनी की जगह ,जनता चल रही थी चाल सब। जीत कर तुम कर बढ़ा रहे हो कुर्सी पर तुम यूं मुस्करा रहो हो । अनिल कुमार सोनी

हम देखेंगे, हमारी आदत हो गई है ?

खून खौलता  है उस मां का जिसका लाल शहीद  हुआ ! खून खौलता  है उस पिता का जिसका लाल शहीद  हुआ ! खून खौलता  है उस भाई का जिसका भाई शहीद  हुआ खून खौलता  है उस पत्नी का जिसका सुहाग शहीद  हुआ ! खून खौलता  है उस दादा का जिसका नाती शहीद  हुआ ! हम देखेंगे, हमारी आदत हो गई है ? अनिलकुमार सोनी

"प्यास"

प्यास कहाँ है? गिलास मेंं मटके में या फिर लोटे में भी नहीं है । हां सकोरे में भरे हुआ पानी में प्यास है । "गौरैया"  अपनी चोंच से अपनी प्यास बुझाती । अनिल कुमार सोनी

"सबका मालिक एक "

ओम नम: शिवाय् कहता चल जीवन की डोर इनके हाथ ही है । जय श्री राम भजता चल भवसागर से पार होना भी इनके हाथ ही है । मनकी बात तू करता चल नैया पार लगना भी इनके हाथ ही है । भूल न जाना राम को धनश्याम को सबका मालिक एक है "ओम नम: शिवाय" अनिल कुमार सोनी

"शुध्द जल"

पानी पानी पानी कितना पानी जितना जीवन उतना पानी । शुध्द जल ही पीना पानी रोगग्रस्त पानी से रोगी बन जाओगे। जल ही जीवन है गंदा पानी पानी पीकर भैया जीवन भर पछताओगे। शुध्द जल पीने की अलख जगाने अपना कदम बढ़ाओगे । अनिल कुमार सोनी

"देश की नब्ज और किसान"

जेब खाली ! जुबान खाली ! जिग़र के अरमान खाली ! खेल खाली ! खेत खाली ! खलिहान खाली ! कुठिया का अनाज खा ली ! हुआ न खाली डब्बा । खाली बोतलें ले लो मेरे यार खाली से सब नफरत करता खाली है किसान खाली डब्बा "मुद्राविहीन देश की जनता सेअराजकता फैलती है"। अनिल कुमार सोनी

"बलिदान"

बलिदान हम यूं देते रहेंगे भारत को मजबूती प्रदान करते रहेंगे आयेगा एक दिन कभी सारे जगत का नायक बनेंगे । अनिल कुमार सोनी
"वेरिंग खत"         दूध की तासीर कुछ  ऐसी रहती है कि जरा सी चूक हुई तो दूध "फट" जाता है। सत्ता और नेताओं  में कुछ खटास आने पर "फूट" होने लगती है ! अनिल कुमार सोनी